रोशनी पांडे – प्रधान संपादक
रामनगर नगर निकाय चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को बड़ा झटका लगा है। भाजपा के वरिष्ठ नेता नरेंद्र शर्मा ने पार्टी से नाराज होकर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। शर्मा ने आरोप लगाया कि पार्टी ने टिकट देने के नाम पर उनके साथ अन्याय किया और उन्हें भाजपा छोड़ने पर मजबूर कर दिया।
नरेंद्र शर्मा का आरोप: टिकट के नाम पर खेल हुआ
नरेंद्र शर्मा ने कहा, “पार्टी ने टिकट वितरण में राजनीति की। छह लोगों ने टिकट के लिए आवेदन किया था, लेकिन पांच लोगों पर दबाव डालकर उनका नामांकन वापस कराया गया। यह मेरे साथ अन्याय है, और इसी वजह से मैंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया। मैं चुनाव नहीं लड़ रहा हूं, यह रामनगर की जनता का चुनाव है।
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रामनगर के विकास को लेकर उठाए सवाल
शर्मा ने रामनगर के संयुक्त चिकित्सालय का मुद्दा उठाते हुए कहा कि कुछ लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए अस्पताल को पूर्णत: सरकारी बनने नहीं दे रहे हैं। उन्होंने कहा, “यह रामनगर की जनता के साथ छलावा है। मैं रामनगर के विकास के लिए प्रतिबद्ध हूं और इस चुनाव के माध्यम से जनता की आवाज बनूंगा।”
निर्दलीय लड़ाई का ऐलान
भाजपा से बगावत करने के बाद नरेंद्र शर्मा ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। उन्होंने जनता से अपील की कि वह रामनगर के विकास के लिए उनके साथ आएं। उनका कहना है कि अब वह किसी पार्टी का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि जनता के प्रतिनिधि के तौर पर काम करेंगे।
चुनावी माहौल में गर्मी बढ़ी
नरेंद्र शर्मा के निर्दलीय मैदान में उतरने से चुनावी माहौल में खासा असर पड़ा है। भाजपा को इस फैसले से नुकसान हो सकता है, क्योंकि शर्मा पार्टी के कद्दावर नेता माने जाते हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि रामनगर की जनता इस लड़ाई में किसे अपना नेता चुनती है।