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पंचायत चुनाव अधिसूचना पर हाईकोर्ट की सख्ती, पूरी प्रक्रिया पर लगाई रोक
- रोशनी पांडे – प्रधान संपादक
नैनीताल, 23 जून 2025।
उत्तराखंड में प्रस्तावित त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों पर नैनीताल हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने आरक्षण नियमावली को लेकर उठी आपत्तियों के बीच पूरी चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। यह रोक तब लगाई गई जब राज्य निर्वाचन आयोग ने शनिवार को चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी थी।
📜 नियमावली पर नहीं हुआ था नोटिफिकेशन, कोर्ट सख्त
मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक महरा की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए पाया कि राज्य सरकार ने पंचायत चुनावों के लिए बनाई गई नई आरक्षण नियमावली का विधिवत नोटिफिकेशन जारी नहीं किया था। कोर्ट ने इसे प्रक्रियात्मक चूक और नियमों का उल्लंघन मानते हुए चुनाव पर रोक लगा दी है और सरकार से जवाब तलब किया है।
🔍 चुनाव से एक दिन पहले अदालत ने किया हस्तक्षेप
21 जून को राज्य सरकार द्वारा जारी चुनावी अधिसूचना के अनुसार, उत्तराखंड में 12 जिलों में दो चरणों में पंचायत चुनाव कराने की योजना थी (हरिद्वार जिले को छोड़कर)। 23 जून को सभी जिलों में निर्वाचन अधिकारियों को चुनाव कार्यक्रम जारी करना था, लेकिन हाईकोर्ट के आदेश से चुनावी प्रक्रिया पूरी तरह रुक गई।
🧾 याचिकाओं में क्या कहा गया?
बागेश्वर निवासी गणेश दत्त कांडपाल सहित अन्य याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में दावा किया कि सरकार द्वारा 9 जून 2025 को नई नियमावली जारी कर दी गई, जबकि 11 जून को पुराने रोटेशन को शून्य घोषित कर नए रोटेशन का आदेश जारी किया गया। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इससे कई सीटें लगातार चौथी बार भी आरक्षित कर दी गई हैं, जिससे आम वर्ग के उम्मीदवार चुनाव लड़ने से वंचित हो रहे हैं।
⚖️ कोर्ट में तर्क-वितर्क
राज्य सरकार ने कोर्ट में बताया कि इसी विषय से जुड़े कुछ मामले हाईकोर्ट की एकलपीठ के समक्ष भी लंबित हैं। जबकि याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता का कहना है कि उन्होंने खंडपीठ में 9 जून की आरक्षण नियमावली को ही चुनौती दी है, जो एक व्यापक मुद्दा है, जबकि एकलपीठ के समक्ष केवल 11 जून के आदेश की वैधता पर सुनवाई चल रही है।
📌 चुनाव आयोग का पक्ष
शनिवार को राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने प्रेसवार्ता में कहा था कि “राज्य सरकार द्वारा आरक्षण प्रक्रिया पूरी कर रिपोर्ट आयोग को भेज दी गई है, जिसके आधार पर अधिसूचना जारी की गई।” लेकिन हाईकोर्ट के निर्देश के बावजूद भी राज्य सरकार स्थिति स्पष्ट करने में असफल रही, जिसके चलते न्यायालय ने चुनाव पर पूर्ण रोक लगा दी।
🟡 अब आगे क्या?
हाईकोर्ट के इस फैसले से पंचायत चुनाव की तैयारियों को बड़ा झटका लगा है। अब जब तक सरकार स्पष्ट जवाब दाखिल नहीं करती और कोर्ट को संतुष्ट नहीं करती, तब तक उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव नहीं हो सकेंगे।
📣 विशेष ध्यान देने योग्य:
इस निर्णय से पंचायत चुनाव की तैयारी कर रहे हजारों उम्मीदवारों को असमंजस की स्थिति में डाल दिया गया है। अब सबकी निगाहें हाईकोर्ट में होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं।