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सपनों की ऊँचाई तक: उधम सिंह राठौर की कड़ी मेहनत, समर्पण और सच्चाई की यात्रा”

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सपनों की ऊँचाई तक: उधम सिंह राठौर की कड़ी मेहनत, समर्पण और सच्चाई की यात्रा”

रोशनी पांडे  – प्रधान संपादक

यह कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है, जिनकी मेहनत, संघर्ष और समर्पण ने उन्हें न केवल पत्रकारिता के क्षेत्र में एक महान स्थान दिलवाया, बल्कि समाज में बदलाव लाने का भी एक महत्वपूर्ण माध्यम बना दिया। उनका नाम है उधम सिंह राठौर

शुरुआत: एक छोटे से गांव से

उधम सिंह राठौर का जन्म उत्तराखंड के जनपद नैनीताल के विकास खण्ड रामनगर में हुआ है। उनका परिवार साधारण था, लेकिन उधम के सपने कभी भी साधारण नहीं थे। बचपन में वह अक्सर सोचते थे कि वह एक दिन दुनिया में कुछ ऐसा करेंगे जो लोगों के जीवन को बदल सके। वह पढ़ाई में भी काफी होशियार थे। उन्होंने अपने स्कूल और कॉलेज के दिनों में हमेशा टॉप किया, और बाद में कॉमर्स से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने कंप्यूटर में डिग्री और डिप्लोमा भी किया। लेकिन उनके भीतर एक और ख्वाहिश थी, और वह था पत्रकारिता के क्षेत्र में कुछ बड़ा करने का।

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पत्रकारिता की ओर कदम

उधम सिंह राठौर का पत्रकारिता के क्षेत्र में पहला कदम “मुजरिम की खोज” नामक एक मैगजीन से शुरू हुआ। यह उनका सपना था, और उन्होंने इसे साकार करने के लिए कड़ी मेहनत की। शुरुआत में उन्हें बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन उधम ने कभी हार नहीं मानी। उनके लेखन की शैली ने जल्दी ही उन्हें पहचान दिलाई। उन्होंने समाज के हर पहलू पर गहरी नजर डाली और अपनी लेखनी के माध्यम से समाज के असली मुद्दों को उजागर किया।

चुनौतियाँ और संघर्ष

पत्रकारिता में कदम रखने के बाद उधम ने कई टीवी चैनलों के लिए काम किया, लेकिन उनका सपना कुछ और ही था। उन्होंने महसूस किया कि मीडिया का एक बड़ा हिस्सा सिर्फ उन खबरों को दिखाता है, जो लोगों की नजर में बिकाऊ होती हैं, जबकि सच्ची और जरूरी खबरों की अनदेखी की जाती है। उधम ने तय किया कि वह अपने तरीके से काम करेंगे और लोगों तक सच पहुंचाने का रास्ता खुद बनाएंगे।

उन्हें कुछ समय बाद दैनिक अखबार “शाह टाइम्स” में भी काम करने का मौका मिला, जहां उन्होंने अपने विचार और दृष्टिकोण को और अधिक विस्तार से प्रस्तुत किया। उधम के लेख न केवल सटीक होते थे, बल्कि उनमें गहरी सोच और समाज के प्रति जिम्मेदारी भी दिखाई देती थी।

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अपना अखबार शुरू करना

2021 में उधम सिंह राठौर ने अपना दैनिक अखबार शुरू करने का साहसिक निर्णय लिया। यह फैसला आसान नहीं था। उन्हें पूंजी की कमी, संसाधनों की कमी और कभी-कभी खुद पर विश्वास भी नहीं होता था, लेकिन उनका जुनून उन्हें आगे बढ़ाता था। उन्होंने एक छोटे से कार्यालय से शुरुआत की, लेकिन उनका अखबार जल्दी ही सफलता की ऊंचाइयों पर पहुंचा।

उनकी पत्रकारिता में न केवल समाज की घटनाओं का सही चित्रण था, बल्कि वह हमेशा जनहित के मुद्दों को भी उठाते थे। उनका उद्देश्य था कि लोगों को सच्चाई दिखानी है, न कि महज सनसनी फैलाना।

समाज में बदलाव और सम्मान

समय के साथ, उधम सिंह राठौर का अखबार समाज में एक महत्वपूर्ण आवाज बन गया। उन्होंने कई बड़े मुद्दों को सामने रखा, जिनमें भ्रष्टाचार, शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण से जुड़े महत्वपूर्ण सवाल थे। उनके काम की वजह से उन्होंने कई पुरस्कार भी जीते।

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वह केवल एक पत्रकार नहीं थे, बल्कि एक प्रेरणा बन गए थे। उन्होंने यह साबित किया कि अगर इंसान के पास सपने, जुनून और संघर्ष की शक्ति हो, तो वह किसी भी मुश्किल को पार कर सकता है।

आज का उधम सिंह राठौर

आज उधम सिंह राठौर केवल एक पत्रकार नहीं, बल्कि समाज के लिए एक महान आदर्श बन गए हैं। उनके अखबार की विश्वसनीयता और उनके दृष्टिकोण ने उन्हें समाज में एक नया स्थान दिलवाया। वह अब पत्रकारिता की दुनिया में एक नाम बन चुके हैं, और उनके कार्यों से प्रेरित होकर कई युवा पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रख रहे हैं।

उनकी सफलता की कहानी यह बताती है कि जीवन में अगर मेहनत, ईमानदारी और समर्पण हो, तो किसी भी कठिनाई को पार किया जा सकता है। उधम सिंह राठौर की तरह हर किसी को अपने सपनों को साकार करने का हौंसला रखना चाहिए।

“संघर्ष से सफलता तक का यह सफर यही साबित करता है कि सपने देखने वालों के लिए कोई भी रास्ता बंद नहीं होता।”