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हिमालय को बचाकर ही बच सकता है मानव जीवन*

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हिमालय को बचाकर ही बच सकता है मानव जीवन*

 

रोशनी पाण्डेय – प्रधान सम्पादक

रामनगर। हिमालय दिवस के अवसर पर रामनगर के पी. एन. जी. राजकीय महाविद्यालय में हिमालय की दशा और दिशा पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें वक्ताओं ने एक स्वर से हिमालय को जीवन का आधार बताते हुए कहा कि हिमालय के बिना मनुष्य के जीवन की कल्पना बेमानी है। गोष्ठी का आयोजन हेस्को और रामनगर महाविद्यालय द्वारा किया गया। इस दौरान विपिन ध्यानी के कविता संग्रह सवाल कुदरत के का विमोचन भी हुआ।

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प्रोo डीएन जोशी व मितेश्वर आनंद के संचालन में संपन्न गोष्ठी में मुख्य वक्ता श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के प्रोo अधीर कुमार, मुख्य अतिथि एसडीएम राहुल शाह और कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ एम सी पांडेय ने की।

 

 

 

गोष्ठी में हिमालय और प्रकृति पर वैश्विक तापमान वृद्धि विषय पर एक कविता संग्रह का भी विमोचन किया गया। कविता संग्रह “सवाल क़ुदरत के: ग्लोबल वार्मिंग” 51 कविताओं का संग्रह है, जो इस विषय की जटिलताओं की व्याख्या करती है, इन संकटों के दुनिया भर में जीवंत उदाहरणों के साथ साथ उपलब्ध समाधानों की आसान भाषा में व्याख्या है। पुस्तक के लेखक श्री विपिन कुमार ध्यानी हैँ जो काव्यांश प्रकाशन, ऋषिकेश द्वारा प्रकाशित है।

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गोष्ठी में संतोष महरोत्रा जी, डॉo धनेश्वरी घिल्डियाल, पूर्व पी एफ कमिश्नर वीएन शर्मा, संजय छिमवाल, इमरान खान, सुमन्ता घोष, डॉo हरेंद्र बरगली, गणेश रावत, अतुल मेहरोत्रा, मनमोहन अग्रवाल आदि ने संबोधित किया।

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कार्यक्रम में डॉoनितिन ढोमने, विनीत शर्मा, अनीता गौड़, तृप्ति शर्मा, संजय डोर्बी , कुबेर अधिकारी, दिनेश रावत, डॉ दीपक खाती, रमेश बिष्ट, आनंद सिंह कदाकोटि, हेस्को वीमेन रिसोर्स सेंटर की महिला उद्यमी उपस्थित रहीं।