उत्तराखंड जरा हटके

आयुर्वेद में नाड़ी परीक्षण का वैज्ञानिक रहस्य..

Spread the love

आयुर्वेद में नाड़ी परीक्षण का वैज्ञानिक रहस्य...

 

रोशनी पाण्डे –  प्रधान संपादक

नाडी परीक्षण के बारे में चरक संहिता, सुश्रुत संहिता, शारंगधर संहिता, भावप्रकाश, योगरत्नाकर आदि ग्रंथों में वर्णन है। महर्षि सुश्रुत अपनी योगिक शक्ति से समस्त शरीर की सभी नाड़ियाँ देख सकते थे ऐलोपेथी में तो पल्स सिर्फ दिल की धड़कन का पता लगाती है; पर ये इससे कहीं अधिक बताती है आयुर्वेद में पारंगत वैद्य नाडी परीक्षा से रोगों का पता लगाते है इससे ये पता चलता है की कौन सा दोष शरीर में दूषित है ये बिना किसी महँगी और तकलीफदायक डायग्नोस्टिक तकनीक के बिलकुल सही निदान करती है। जैसे कि शरीर में कहाँ कितने साइज़ का ट्यूमर है, किडनी खराब है या ऐसा ही कोई भी जटिल से जटिल रोग का पता चल जाता है। दक्ष वैद्य हफ्ते भर पहले क्या खाया था ये भी बता देतें है। भविष्य में क्या रोग होने की संभावना है ये भी पता चलता है।

यह भी पढ़ें 👉  SSP NAINITAL ने किया शहर के ज्वैलरी शोरूम का औचक निरीक्षण दिए महत्वपूर्ण निर्देश* *सुरक्षा उपायों को और अधिक मजबूत करने के उद्देश्य से ज्वैलर्स एसोसिएशन के साथ गोष्ठी का आयोजन*

 

 

1. महिलाओं का बांया और पुरुषों का दाँया हाथ देखा जाता है।
2. कलाई के अन्दर अंगूठे के नीचे जहां पल्स महसूस होती है तीन उंगलियाँ रखी जाती है।
3. अंगूठे के पास की ऊँगली में वात, मध्य वाली ऊँगली में पित्त और अंगूठे से तीसरी ऊँगली में कफ महसूस किया जा सकता है।
4. वात की पल्स अनियमित और मध्यम तेज चलती है ।
5. पित्त की बहुत तेज पल्स महसूस होगी।
6. कफ की बहुत कम और धीमी पल्स महसूस होगी।

 

 

यह भी पढ़ें 👉  मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अतिथि शिक्षिकाओं को प्रसूती/मातृत्व अवकाश की सुविधा प्रदान की

7. तीनो उंगलियाँ एक साथ रखने से हमें ये पता चलेगा कि कौन सा दोष अधिक है।8. प्रारम्भिक अवस्था में ही उस दोष को कम कर देने से रोग होता ही नहीं।
9. हर एक दोष की भी 8 प्रकार की पल्स होती है; जिससे रोग का पता चलता है, इसके लिए अभ्यास की ज़रुरत होती है।
10. कभी कभी 2 या 3 दोष एक साथ हो सकते है।
11. नाडी परीक्षा अधिकतर सुबह उठकर आधे एक घंटे बाद करते है जिससे हमें अपनी प्रकृति के बारे में पता चलता है। ये भूख प्यास, नींद, धुप में घुमने, रात्री में टहलने से, मानसिक स्थिति से, भोजन से, दिन के अलग अलग समय और मौसम से बदलती है।
12. चिकित्सक को थोड़ा आध्यात्मिक और योगी होने से मदद मिलती है। सही निदान करने वाले नाडी पकड़ते ही तीन सेकण्ड में दोष का पता लगा लेते है। वैसे 30 सेकण्ड तक देखना चाहिए।13. मृत्यु नाडी से कुशल वैद्य भावी मृत्यु के बारे में भी बता सकते है।
14. आप किस प्रकृति के है? वात प्रधान, पित्त प्रधान या कफ प्रधान या फिर मिश्रित । यह भी नाड़ी विज्ञान द्वारा जाना जा सकता है आज भारत में एलोपैथी चिकित्सा आने तथा उसे बढ़ावा मिलने के कारण नाड़ी वैद्य बहुत कम रह गए हैं किंतु इस विद्या को बचाने की आवश्यकता है आयुर्वेद का अध्ययन कर रहे युवाओं को इसे पुराने वैद्यों से अवश्य सीखना चाहिए…

यह भी पढ़ें 👉  मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने स्वच्छता व पर्यावरण सुरक्षा की दृष्टि से राज्य में सभी होटल व होम स्टे की ग्रीन लीफ रेटिंग के दिये निर्देश

 

 

जय  धन्वंतरि भगवान, जय श्रीराम,
कृष्णमिलन(स्वामी नारददेव)
पतञ्जलि योगपीठ हरिद्वार
पोस्ट स्वास्थ्य जानकारी हेतु शेयर जरूर करें धन्यवाद