आदमखोर बाघ पकड़ा गया: ओखलढुंगा में आतंक का अंत।
उधम सिंह राठौर – प्रधान संपादक
ग्राम ओखलढुंगा, नैनीताल: ग्राम ओखलढुंगा में आतंक का पर्याय बन चुका आदमखोर बाघ आखिरकार वन विभाग द्वारा लगाए गए पिंजरे में फंस गया। यह वही बाघ है जिसने दो दिन पहले चारा लेकर लौट रही 55 वर्षीय शांति देवी पर हमला कर उनकी जान ले ली थी। इस घटना के बाद क्षेत्र में भय और आक्रोश का माहौल व्याप्त था।
वन विभाग ने घटना के तुरंत बाद बाघ को पकड़ने के लिए इलाके में पिंजरा लगाया और आसपास के स्थानों पर कैमरा ट्रैप स्थापित किए। शुक्रवार की रात पिंजरे में रखे मांस के लालच में बाघ फंस गया। कैमरा ट्रैप में बाघ की तस्वीरें स्पष्ट रूप से सामने आई हैं।
ग्रामीणों में राहत, लेकिन अब भी सावधानी की आवश्यकता
बाघ के पकड़े जाने से क्षेत्र के निवासियों ने राहत की सांस ली है, लेकिन उनकी सुरक्षा को लेकर चिंताएं अब भी बनी हुई हैं। ग्रामीणों ने वन विभाग से बाघों की बढ़ती गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखने और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की है।
वन विभाग का बयान
वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बाघ को सुरक्षित पकड़ लिया गया है साथ ही, विभाग ने क्षेत्र में निगरानी बढ़ाने और स्थानीय लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है।
स्थानीय प्रशासन से अपील
स्थानीय निवासी और सामाजिक संगठनों ने प्रशासन से अनुरोध किया है कि ऐसी घटनाओं से बचाव के लिए दीर्घकालिक उपाय किए जाएं। इनमें बफर जोन का निर्माण, जागरूकता अभियान और सुरक्षा उपकरणों का वितरण शामिल है।
यह घटना वन्यजीव और मानव संघर्ष का एक और उदाहरण है, जो दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इस मामले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वन्यजीव संरक्षण के साथ-साथ मानव जीवन की सुरक्षा के लिए ठोस नीतियों और उपायों की आवश्यकता है।