उत्तराखंड उधम सिंह नगर जरा हटके

शहीद ऊधम सिंह का जन्म दिवस जनपद में पूर्ण हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।

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रोशनी पांडे  – प्रधान संपादक

शहीद ऊधम सिंह का जन्म दिवस जनपद में पूर्ण हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।आपको बता दें शहीद उधम सिंह के जन्मदिवस जनपद में पूर्ण हर्षाल्लास के साथ मनाया गया जिला कार्यालय में जनपद प्रभारी एवम ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी, जिलाधिकारी उदयराज सिंह, मुख्य विकास अधिकारी विशाल मिश्रा, पूर्व विधायक राजेश शुक्ला सहित विभिन्न व्यक्तियों द्वारा उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए नमन किया।

 

इस अवसर पर सभी महानुभावों ने देश के युवाओं से शहीद ऊधम सिंह के आदर्शों एवम मूल्य को आत्मसात करने को कहा। सभी ने शहीद ऊधम सिंह के जीवन के बारे में प्रकाश डालते हुए कहा कि राँझा के भागी हीर लिखी, साढी किस्मत विच जंजीर लिखी। इस गीत की पंक्तियां गुनगुनाने वाले अमर शहीद उधम सिंह काम्बोज का जन्म 26 दिसम्बर 1899 को पंजाब के प्रसिद्ध कस्बे सुनान में सरदार टहल सिंह के घर हुआ था। जब इनकी आयु चार वर्ष की थी तो उनकी माता नारायणी कौर का निधन हो गया और इसके तीन वर्ष बाद इनके पिता भी गुजर गये। मां-बाप का साया उठने से इनकी सारी जिम्मेदारी बड़े भाई पर आ गई। दोनों भाइयों का पालन पोषण एक अनाथ आश्रम में हुआ। आश्रम के मैनेजर एवं उसकी पत्नी ने न केवल इनका पालन पोषण किया बल्कि अच्छी शिक्षा एवं संस्कार भी दिये। उधम सिंह का पहला नाम शेर सिंह था और फिर यह सिक्ख मर्यादा में अमृतपान कर उधम सिंह बने।

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18 वर्ष की उम्र होते ही इनके इकलौते भाई का भी निधन हो गया। 1917 में खालसा स्कूल से दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की, फिर नौकरी की तलाश में वह इधर उधर भटकते रहे। इसी दौरान रोलेट एक्त के विरोध में महात्मा गांधी के आह्वान पर सत्याग्रह की घोषणा कर दी। मार्च 1919 में पंजाब में भारी आक्रोश फैल गया। जिसके चलते अमृतसर में डा० सैफुउद्दीन किचलू व डा० सतपाल पर अंग्रेज अफसरों ने उनके भाषणों को प्रतिबन्ध लगा दिया। अप्रैल 9 को अमृतसर में टामन बमी का त्यौहार मुस्लिम, सिक्ख, हिन्दू एकता के रूप में मनाया गया। इससे खफा पंजाब सरकार ने उनके निष्कासन करने का आदेश जारी कर दिया। आदेश के विरोध में 10 अप्रैल 1919 को जनता जुलूस की शक्ल में डीसी कोठी पर बढ़ रही थी कि सैनिकों ने गोलियां चला दी जिसमें काफी लोग मारे गये।

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अंग्रेजों ने सतपाल एवं डा० किचलू को गिरफ्तार कर लिया गया, इसके विरोध में वैशाखी के अवसर पर जलियांवाला बाग में जनसभा हुई। ब्रिटिश सरकार के लैफ्टीनेंट गवर्नर ब्रिगेडियर ओडवायर ने वहां मौजूद लोगों पर गोलियां चलवा दी जिससे बड़ी संख्या में निर्दोष लोग मारे गये। इस गोली कांड में एक गोली बालक उधम सिंह के बाजू में भी लगी। उन्होंने लाशों के बीच छिपकर अपनी किसी तरह जान बचायी। इस वीभत्स नरसंहार को देखकर उधम सिंह का बाल हृदय दहल उठा और उनकी आंखों में आंसू आ गये। इस काण्ड से दुखित उधम सिंह स्वर्ण मंदिर गये और पवित्र सरोवर में स्नान कर जनरल ओडवायर से बदला लेने की प्रतिज्ञा की।

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