वाणिज्य विभाग द्वारा गुरु दिवस व्याख्यान माला के चतुर्थ संस्करण के अंतर्गत तृतीय ऑनलाइन व्याख्यान का हुआ आयोजन।
उधम सिंह राठौर – प्रधान संपादक
पी0एन0जी0 राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रामनगर के करियर काउंसलिंग प्रकोष्ठ के तत्वाधान में महाविद्यालय के वाणिज्य विभाग द्वारा गुरु दिवस व्याख्यान माला के चतुर्थ संस्करण के अंतर्गत तृतीय ऑनलाइन व्याख्यान का आयोजन दिनांक 19 दिसंबर 2024 को किया गया, जिसका शीर्षक शिक्षा से आनंद की ओर रहा।
चतुर्थ संस्करण के तृतीय व्याख्यान का शुभारंभ महाविद्यालय के प्राचार्य एवं व्याख्यान माला के निदेशक प्रो0 एम सी पांडे जी द्वारा शिक्षा से आनंद कैसे पाया जा सकता है, के विषय में अपने विचार साझा किए और बताया कि वाणिज्य विषय के अध्ययन से आनंद बहुत ही आसानी से प्राप्त किया जा सकता है लेकिन इसके लिए विद्यार्थी को उस कार्य को मन लगाकर करना पड़ेगा जिससे उसे भविष्य में लाभ प्राप्त हो। प्रो0 पांडे ने बताया कि पूर्ण मनोयोग से किया गया कार्य अंतर्मन को आनंद की ओर ले जाता है। प्रोफेसर पाण्डे ने कहा कि वास्तविक शिक्षा वह होती है जो हमें एक अच्छा और खुशहाल जीवन जीना सिखाती है।
व्याख्यान माला के मुख्य वक्ता दिल्ली स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स दिल्ली विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसर विजय कुमार श्रोतिय ने शिक्षा से आनंद कैसे प्राप्त करें विषय पर अपने व्यावहारिक अनुभव साझा किए। प्रोफेसर विजय कुमार ने कहा कि शिक्षा का मुख्य उद्देश्य खुश रहना होना चाहिए और प्रत्येक इंसान को अपना जीवन ‘सच्चिदानंद’ और ‘अप्प दीपो भव:’ की भावना से जीना चाहिए। प्रोफेसर विजय कुमार ने कहा कि आज के समय में वास्तविक शिक्षा वह है जो व्यक्ति को स्वयं अपने विवेक से अपने आप को सकारात्मक रहा में ले जा सके। प्रोफेसर श्रोत्रिय ने आनंद प्राप्त करने के लिए आज की एकल जीवन पसंद करने वाली पीढ़ी से आग्रह करते हुए कहा की समाज में एकजुटता के साथ रहने अर्थात अभिभाजित परिवार में रहने से व्यक्ति एकल परिवार के स्थान पर अधिक आनंदमय जीवन व्यतीत करता है।
प्रोफेसर विजय कुमार ने ज्ञान और आनंद, ज्ञान और साक्षर, तथा ज्ञान और प्रज्ञान (विजडम) के मध्य अंतर को सामान्य व्यावहारिक उदाहरण के माध्यम से समझाया। अपने व्याख्यान में प्रोफेसर विजय कुमार ने कनाडा यूनिवर्सिटी में हुए एक शोध जिसमें टेकिंग एक्टिविटीज, गिविंग एक्टिविटीज तथा सेरेंडिंग एक्टिविटीज को आधार मानकर शोध किया गया था, पाया कि जिन व्यक्तियों का सरेेंडिंग एक्टिविटीज में ज्यादा विश्वास था उनमें आनंद का स्तर, टेकिंग या गिविंग एक्टिविटीज वाले व्यक्तियों की तुलना में काफी अधिक था। प्रोफेसर विजय कुमार श्रोतिय ने व्यवहारिक आर्थिक एवं वाणिज्यिक शिक्षा से बेहतर कैरियर संभावनाएं, वित्तीय साक्षरता कौशल विकसित करने एवं बेहतर वित्तीय निर्णय लेने इत्यादि के द्वारा जीवन को आनंदमय बनाने के विषय में विस्तार पूर्वक चर्चा की।
अंत में प्रोफेसर श्रोतिय ने कहा की शिक्षा एक शक्तिशाली उपकरण है ,जो व्यक्तियों को सफल होने के लिए आवश्यक ज्ञान कौशल और अवसर प्रदान करके, उन्हें खुश, स्वस्थ और अधिक पूर्ण जीवन जीने में मदद करने में सहायता करता है।
वाणिज्य विभाग के डॉ0 दीपक खाती ने वाणिज्यिक शिक्षा के विभिन्न आयामों को समझाते हुए कहा कि किसी भी एक आयाम का गहन अध्ययन कर निपुणता प्राप्त करने वाला विद्यार्थी, संसार में अपने लिए निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त कर आनंद की प्राप्ति कर सकता है।
कार्यक्रम का संचालन वाणिज्य विभाग के डॉ0 विजय कुमार द्वारा किया गया तथा कार्यक्रम के अंत में डॉ0 भानु प्रताप दुर्गापाल द्वारा सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में वाणिज्य विभाग के डॉ0 ममता भदोला जोशी तथा डॉ0 हेमचंद भट्ट के साथ-साथ कार्यक्रम की प्रबंध समिति के डॉ0 अनुराग श्रीवास्तव डॉ0 लोतिका अमित एवं डॉ0 प्रकाश सिंह बिष्ट का विशेष सहयोग रहा।
व्याख्यान माला में रामनगर महाविद्यालय के प्राध्यापक प्रो0 जगमोहन सिंह नेगी, डॉ ललित मोहन, डॉ0 सुरेश चंद्र, डॉ जया भट्ट, डॉ0 मनोज कुमार नैनवाल, शीतलाखेत महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर लल्लन प्रसाद, राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय बेरीनाग के प्राचार्य प्रोफेसर बी एम पांडे एवं महाविद्यालय के 190 से अधिक विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों द्वारा प्रतिभाग किया गया। कार्यक्रम के अंत में आयोजित ओपन सेशन में प्रोफेसर विजय कुमार श्रोत्रिय द्वारा प्रतिभागियों के विभिन्न सवालों, शंकाओं एवं समस्याओं का उचित समाधान किया गया।