उत्तराखंड जरा हटके हल्द्वानी

जिलाधिकारी द्वारा शीशमहल वाटर प्लांट के निरीक्षण के दौरान वॉटर सप्लाई को बढ़ाने के लिए फिल्टर प्लांट की क्षमता वृद्धि का प्लान प्रस्तुत करने के दिए निर्देश।

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जिलाधिकारी द्वारा शीशमहल वाटर प्लांट के निरीक्षण के दौरान वॉटर सप्लाई को बढ़ाने के लिए फिल्टर प्लांट की क्षमता वृद्धि का प्लान प्रस्तुत करने के दिए निर्देश।

रोशनी पांडे  – प्रधान संपादक

विगत दिनों जिलाधिकारी द्वारा शीशमहल वाटर प्लांट के निरीक्षण के दौरान जलनिगम व जल संस्थान को हल्द्वानी की पेयजल समस्या के समाधान एवं भूमिगत जल पर निर्भरता कम करने हेतु गौला नदी से ग्रेविटी आधारित वॉटर सप्लाई को बढ़ाने के लिए फिल्टर प्लांट की क्षमता वृद्धि का प्लान प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे। इसी क्रम में जलनिगम व जल संस्थान द्वारा 2055 की जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए हल्द्वानी शहर के लिए नए फिल्टर प्लांट का निर्माण तथा सप्लाई लाइनों के सुदृढ़ीकरण का विस्तृत प्लान प्रस्तुत किया गया व विस्तार से चर्चा की गई।

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हल्द्वानी शहर की पेयजल समस्या को देखते हुए जिलाधिकारी ने जलनिगम को शहर के लिए पानी की मात्रा को बढ़ाते हुए ग्रेविटी स्कीम पर आधारित एक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने के लिए जमीन तलाशते हुए डीपीआर तैयार करने के निर्देश दिए थे। इसके साथ ही पूर्व में स्थापित दोनों वाटर ट्रीटमेंट प्लांट (डब्ल्यू टी पी) शीशमहल व शीतलाहाट को रेनोवेट करने को कहा था। जिसके अनुपालन में विभाग द्वारा 98 करोड़ की लागत से एक डब्ल्यूटीपी प्लान व वर्तमान में संचालित डब्ल्यूटीपी व अन्य कार्यों के सुदृढ़ीकरण हेतु प्लान तैयार किया गया जिसे जिलाधिकारी ने कुल ग्रेविटी सप्लाई को 80 एमएलडी तक किए जाने हेतु संशोधित कर 15 दिन के भीतर पुनः प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।

 

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जिलाधिकारी ने कहा कि गौला नदी से ग्रैविटी पर आधारित स्कीम तैयार की जायगी जिससे भूमिगत जल पर निर्भरता कम भर रहे। इसके साथ ही ट्यूबवेल से संचालित पेयजल योजनाओं को आकस्मिकता के तौर पर प्रयोग में लाया जाएगा। इससे वर्तमान व भविष्य में होने वाली पेयजल समस्या से निजात मिल पाएगी।

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गौरलतब है कि हल्द्वानी में शीशमहल व शीतलाहाट में दो वाटर फिल्टर प्लांट है जो कि काफी पुराने व अपनी समयावधि पूर्ण कर चुके है। बरसात के समय गौला नदी में सिल्ट आने से पेयजल आपूर्ति बाधित हो जाती है व वर्तमान में हल्द्वानी के दोनों वाटर प्लांट की पानी के प्यूरीफाई की क्षमता भी काफी कम है। इसके अलावा गर्मियों के दिनों में ट्यूबवेल खराब होने से भी पेयजल आपूर्ति बाधित रहती है।

 

 

इस अवसर पर ईई जलनिगम ए के कटारिया, जल संस्थान रवि शंकर लोशाली, सुधीर कुमार, वाई एस लसपाल व ललित मौजूद थे।