उत्तर प्रदेश क्राइम भगतपुर मुरादाबाद

कैंटर ने सामने से आ रही टाटा मैजिक को मारी टक्कर हादसे में 10 लोगों की हुई मौत जबकि 13 लोग गंभीर रूप से हुए घायल । 

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रोशनी पाण्डेय – प्रधान सम्पादक

मुरादाबाद के भगतपुर थाना इलाके में अलीगंज-दलपतपुर मार्ग पर रविवार दोपहर करीब डेढ़ बजे कैंटर ने सामने से आ रही टाटा मैजिक में टक्कर मार दी। इस हादसे में चालक समेत मैजिक में सवार भोजपुर इलाके के 10 लोगों की मौत हो गई। 13 लोग गंभीर रूप से घायल हैं। मैजिक सवार सभी लोग रिश्तेदार की शादी में शामिल होने रामपुर जा रहे थे। हादसे में जान गंवाने वालों में दो सगी बहनें और मां-बेटे शामिल हैं।

वहीं, 12 वर्षीय फरहान और उसकी आठ वर्षीय बहन अलसदा की मां हनीफा (42) की दुर्घटना में मौत हो गई है। दोनों मासूम इस बात से अनजान हैं। उनके जेहन में यही बात चल रही है कि दुर्घटना से पहले तक दोनों अम्मी का हाथ थामे टाटा मैजिक में बैठे थे। बार बार दोनों यही पूछ रहे हैं कि अम्मी कहां हैं।

घटना से पहले सफर में बेटी अलसदा अपनी अम्मी (हनीफा) के हाथों पर लगी मेंहदी की तारीफ कर रही थी। जबकि फरहान कह रहा था कि उसके कपड़े दूसरे बच्चों के कपड़ों से बेहतर हैं। इस पर अलसदा उसे चिढ़ा रही थी कि आवाज नहीं आ रही क्या कह रहे हो

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तभी अचानक टाटा मैजिक और कैंटर की टक्कर की इतनी भयानक आवाज हुई कि शायद दोनों भाई बहन उम्र भर इसे भुला नहीं सकेंगे। अगले ही क्षण उनकी मां दुर्घटना के कारण चल बसीं। दोनों की हंसी को जीवन के सबसे बड़े दुख में बदलते हुए एक मिनट भी न लगा। हालांकि दोनों बच्चों को देर रात तक इस बात की जानकारी नहीं हुई थी।

 

 

 

हल्की बेहोशी की हालत में उन्हें अस्पताल लाया गया था। जब तक दोनों को पूरी तरह होश आया तब तक उनकी मां का शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा जा चुका था। परिजनों को इस संकट का हल नहीं मिल रहा कि बच्चों को मां के अंतिम दर्शन कैसे कराएं। देर रात तक परिजन चर्चा करते रहे कि दोनों बच्चों को बहुत धैर्य से बताना पड़ेगा कि उन्होंने क्या खो दिया है।
हादसे में एक ही परिवार के चार सदस्यों की जान चली गई। हादसे में इकरार का परिवार उजड़ गया। उसकी पत्नी हनीफा, उसकी मां हुकुमत, भाभी आसिफा, भतीजा बिलाल की मौत हो गई।
जिला अस्पताल में मौजूद अनवर ने बताया कि हादसे में बिलाल के घायल पिता इस्तेकार कॉसमॉस हॉस्पिटल में भर्ती हैं। गांव के लोग भी इस्तेकार को ढांढस बधाने के लिए आए थे लेकिन निजी अस्पताल के नियमों के अनुसार आईसीयू में सभी को मिलने की इजाजत नहीं थी।

हादसे के बाद इकरार के रिश्तेदारों और गांव के लोगों से कॉसमॉस हॉस्पिटल भरा गया। अपनों को खोने के कारण सबकी आंखें नम थी। बात-बात में लोगों की आंखों से आंसू बह रहे थे। गांव के नाते एक व्यक्ति घायलों से मिलने के लिए आया था। बताया कि मरने वालों से दीदार नहीं हो सका। अब घायलों को ठीक कराने का मकसद हैं।

अस्पताल में गांव के लोगों का प्यार और लगाव देखने के लिए मिल रहा था। मौत का गम क्या होता है, वह शाहिद हुसैन अन्य लोगों की आंखों में साफ दिखाई दे रहा था। वह आईसीयू से लौटने वाले परिजनों से घायलों का हाल पूछ रहे थे। कितना सुधार हुआ है अब्बास और तराना में। इमरान के पत्नी की हालत कैसी है। एक गांव के दस लोगों की मौत से उठे दर्द का बयां करना किसी के लिए भी मुश्किल हो रहा था। गांव से आए बुजुर्ग यही सोच कर परेशान हो रहे थे। वे डीसीएम वाले को कोस कर अपनी पीड़़ा कम कर रहे थे।