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नौकरी का झांसा बन गया जाल—गुरुग्राम से ऑपरेट हो रहा विदेशी ठगी नेटवर्क बेनकाब

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नौकरी का झांसा बन गया जाल—गुरुग्राम से ऑपरेट हो रहा विदेशी ठगी नेटवर्क बेनकाब

उधम सिंह राठौर – प्रधान संपादक

गुरुग्राम। साइबर अपराध दक्षिण थाना पुलिस ने नौकरी दिलाने के नाम पर युवकों को विदेश भेजकर म्यांमार में अवैध साइबर ठगी कराने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने इस मामले में हरियाणा के भिवानी जिले के बड़वा गांव निवासी दो सगे भाइयों विजेंद्र और जितेंद्र को गिरफ्तार किया है। दोनों अब तक हरियाणा और राजस्थान के करीब 10 युवाओं को विदेश में नौकरी का झांसा देकर ठगी के रैकेट में धकेल चुके हैं।

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थाईलैंड भेजकर म्यांमार में करवाया ठगी का काम

रोहतक के सांघी गांव निवासी मंदीप ने पुलिस को बताया कि वह गुरुग्राम के कादरपुर में निजी कंपनी में काम करते थे। इसी दौरान उनकी मुलाकात बड़वा गांव निवासी सोनू से हुई। सोनू ने उनके परिवार से विदेश में अच्छी नौकरी का वादा किया।

शिकायत के अनुसार, 22 मार्च 2024 को सोनू ने मंदीप को जयपुर एयरपोर्ट से टूरिस्ट वीजा पर थाईलैंड भेजा। वहां पहुंचने पर उसका भाई जितेंद्र मिला, जिसने 1000 थाई वाट लेकर उसे म्यांमार के लिए अवैध मार्ग से आगे भेज दिया। पीड़ित को वहां अमेरिकी नागरिकों के डेटा इकट्ठा करने और साइबर फ्रॉड से जुड़ा काम करने के लिए मजबूर किया गया।

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चीनी मूल के गिरोह से मिली थी डील

पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि जितेंद्र इसी साल जनवरी में म्यांमार गया था, जहां उसकी मुलाकात चीनी मूल के लोगों से हुई। वहीं से वह उनके साथ मिलकर साइबर ठगी के नेटवर्क में शामिल हो गया। उसे बताया गया कि प्रत्येक युवक को म्यांमार भेजने पर एजेंट को 3000 डॉलर और स्थानीय हैंडलर को 1000 डॉलर कमीशन मिलता है।

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जितेंद्र के कहने पर उसका भाई विजेंद्र भी इस रैकेट में शामिल हो गया। इसी के कहने पर उसने मंदीप को विदेश भेजने की व्यवस्था की, जिसके बदले उसे पूरा कमीशन मिला।

म्यांमार आर्मी ने पकड़ा, भारत किया डिपोर्ट

पुलिस ने बताया कि दोनों आरोपी सितंबर 2024 में फिर म्यांमार गए थे, जहां 21 अक्तूबर को म्यांमार आर्मी ने उन्हें पकड़ लिया। बाद में 19 नवंबर को दोनों को दिल्ली डिपोर्ट किया गया। आरोपियों के खिलाफ नारनौल में भी मामला दर्ज है।

पुलिस रैकेट से जुड़े अन्य एजेंटों की तलाश में जुटी है