उत्तराखंड जरा हटके रामनगर

सीतावनी वाल्मीकि तीर्थ स्थल, रामनगर में श्रद्धा पर्व बड़े ही श्रद्धा भाव से सम्पन्न हुआ।

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सीतावनी वाल्मीकि तीर्थ स्थल, रामनगर में श्रद्धा पर्व बड़े ही श्रद्धा भाव से सम्पन्न हुआ।

उधम सिंह राठौर –  प्रधान संपादक

 

रामनगर बाल्मीकि समाज का प्रमुख तीर्थ स्थल है सीतावनी, मां सीता से भी जुड़ी हैं किंवदंतियां, रामनगर से 22 किलोमीटर दूर सीतावनी क्षेत्र न केवल आध्यत्मिक रूप से अपनी पहचान बनाए हुए है बल्कि अब पर्यटन के क्षेत्र में भी प्रसिद्धि पा चुका है। सीतावनी मन्दिर को त्रेता युग का बताया जाता है। सीतावनी मन्दिर बाल्मीकि समाज के लोगों के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है।भगवान महर्षि बाल्मीकि का आश्रम होने के कारण यह बाल्मीकि समाज का तीर्थ स्थल भी है। साल में एक बार बाल्मीकि समाज द्वारा यहाँ विशाल मेले का आयोजन भी किया जाता है।

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(पर्व में चरन सिंह की उपस्तिति रही चर्चा का विषय)

 

भावाधास (भीम) के तत्वावधान में श्रद्धा पर्व बड़े ही श्रद्धा भाव से सम्पन्न हुआ जिस में भारत के 11 प्रन्तों के श्रध्दालुओ ने वाल्मीकि तीर्थ सीताबनी (रामनगर) नैनीताल में अपने धर्म गुरु वीरेश विकल जी महाराज को श्रद्धासुमान अर्पित कि और दिनाक 26 अप्रैल 2010 को वह परमात्मा के चरणों में जा विराजे थे जिन की पूर्णेतिथि पर हर वर्ष श्रद्धा पर्व मनाया जाता है पंजाब, चंडीगढ़, दिल्ली, उत्तर प्रदेश , उत्तराखण्ड, राजस्थान, मध्य प्रदेश, व्रज प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, और कश्मीर सहित अनेक प्रांतों के हज़ारों लोग शामिल हुए।

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वीर श्रेष्ठ चरण सिंह बबरीक दिल्ली ने भजन गा कर समा बाँध दिया और उन्होंने वीरेश भीम अनार्य से कहा कि वह विकल जी नाम लेवा को एकत्र करे और उस के लिए सीतावानी सब से अच्छा स्थान है भीम अनार्य ने कहा कि वह इसके लिए प्रयास करेंगे।चरण सिंह की उपस्थिति चर्चा का विषय रही।धर्मगुरु विराट नाथ ने अपने आशीर्वाद प्रवचन मैं विकल जी के कार्यों पर प्रकाश डाला।इस अवसर पर दिल्ली से सूरज प्रकाश चावरियाँ, उत्तराखंड से मनोज पवार, शिवानंदन टाँक,उत्तर प्रदेश सतीश पारचा, कैलाश एकलव्य, मुकेश चौधरी,विजय अनार्य आदि लोग थे।