जरा हटके भिकियासैण

हिमालय की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण सर्वधन एवं विकास हेतु पौराणिक एवं पारम्परिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का हुआ आयोजन।

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रोशनी पाण्डेय – प्रधान सम्पादक

हिमालय की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण सर्वधन एवं विकास हेतु
पौराणिक एवं पारम्परिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन केवल पहाड़ नही – सभ्यता, संस्कृति, संस्कार और रीति रिवाज भी है हिमालय। मकसद संस्था, भिकियासैण, उत्तराखण्ड के तत्वाधान में तथा संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से हिमालय की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण एवं विकास हेतु कुमायूॅ मण्डल नैनीताल में 15 दिवसीय पारम्परिक लोक कलाओं के प्रशिक्षण के उपरांत आज राजकीय इण्टर कालेज, ढिकुली, रामनगर जनपद नैनीताल में उत्तराखण्ड के पारम्परिक पोराणिक लोकगीत एवं लोकनृत्य कार्यक्रमों जिसमें मॉ नन्दा सुनन्दा की स्तुति, नन्दा राजाजात यात्रा, उत्तराखण्ड के पारम्परिक झोडा एवं चॉचरी तथा सामुहिक नृत्य थडिया जौनसारी लोक नृत्य का सुन्दर आयोजन दिनांक 19 दिसम्बर 2022 को दिन में 1 बजे से सुन्दर मंचीय प्रदर्शन मकसद संस्था के कलाकारों द्वारा किया गया।

 

 

जिसका उद्घाटन  रामलीला समिति ढिकुली के सममानित अध्यक्ष  अजय छिमवाल, विशिष्ट अतिथि ललित छिमवाल सचिव, श्रीमती खष्टी देवी बीडीसी मेम्बर, श्रीमती पूनम देवी ग्राम प्रधान एवं अतिथि  दिनेश चन्द्र सिंह रावत प्रवक्ता, श्रीमती गीता जोशी अध्यापिका, राजकीय इण्टर कालेज ढिकुली रामनगर के प्रधानाचार्य महोदय आदि के कर कमलों द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। संस्था की सचिव हेमा बिष्ट ने अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ एवं प्रतीक चिन्ह व अंगवस्त्र भेंटकर किया गया। इस अवसर पर स्वच्छ भारत अभियान-एक कदम स्वच्छता की ओर विषय पर परिचर्चा एवं प्रचार प्रसार भी किया गया।

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इस अवसर पर मुख्य अतिथि एवं अतिथियों ने संस्था द्वारा किये जो रहे कार्यक्रमों की भूरि भूरि प्रसंसा की और इससे हिमालय की सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण सर्वधन एवं विकास में हमेशा योगदान दे रही मकसद संस्था के कार्यो की सराहना की। उन्होने कहा कि केवल पहाड नही सभ्यता, संस्कृति, संस्कार और रीति रिवाज भी है हिमालय। कार्यक्रम का संचालन कर रहे वरिष्ठ उदघोषक एवं उत्तराखण्ड राज्य गीत के लेखक मन्त बिष्ट ने कहा कि हिमालय की विशालता को समझना ही हिमालय का विकास है। हिमालय अनन्तकाल से मानवता को नाना रूपों में सुख-समृद्धि बांटता आ रहा है।

 

 

हिमालय ने हमें जैव विविधता के साथ सांस्कृतिक विविधता का भी अवदान दिया है। पर्वतों की ढालों पर और नदियों के पवित्र संगमों में ही विद्वानों और ऋषियों की मेधा अनुप्राणित हुई। हिमालय के वनों और हिमालय से निकली नदियों से अनुपणित वन्य प्रदेशों में ही भारतीय संस्कृति के महान ग्रंथों की रचना हुई। उत्तराखण्ड की हिमालयन लोक संस्कृति, गीत संगीत और त्योहार दूर बसे लोगों को आज भी अपनी ओर आकृर्षित करती है। उत्तराखण्ड अपनी लोक संस्कृति को लेकर पूरे देश में प्रसिद्ध है। उत्तराखण्ड के हिमालय क्षेत्र अल्मोडा, नैनीताल, बागेश्वर, पिथौरागढ, चम्पावत आदि हिमालय की पर्वत श्रंखलाए इस क्षेत्र की सुन्दरता में चार चांद लगाते है।

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संस्था के कार्यक्रम निर्देशक/सचिव हेमा बिष्ट ने बताया कि दिनंाक 1 दिसम्बर 2022 से 15 दिसम्सबर 2022 तक पारम्परिक लोक कलाओं का प्रशिक्षण दिया गया। तदोपरांत आज भब्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन राजीकय इण्टर कालेज ढिकुली में किया जा रहा है। मकसद संस्था द्वारा हिमालय की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण सर्वधन एवं विकास हेतु पारम्परिक एवं पौराणिक लोक कलाओं एवं लोक विधाओं पर निम्न कार्यक्रमों की सुन्दर मंचीय प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम का सुन्दर संचालन वरिष्ठ उद्घोषक  हेमंत बिष्ट द्वारा किया गया। कार्यक्रम का निर्देशन हेमा बिष्ट द्वारा किया गया।

 

1. मॉ नन्दा सुनन्दा स्तुति।
2. नन्दा राजजात यात्रा- जै बोला जै भगवती नन्दा.
3. छपेली नृत्य की प्रस्तुति गायन चंदन सिंह मेहरा।
4. उत्तराखण्ड का पारम्परिक झोडा जिसके बोल है हिमुली हयों पडो हिमाला।
5. पारम्परिक सामुहिक नृत्य-जिसके बोल है पार भीडे कि बसंती छोरी।
6. कामना बिष्ट द्वारा उत्तराखण्ड का पारम्परिक लोक नृत्य की प्रस्तुति जिसके बोल है माठू माठू।
7. चंदन सिंह मेहरा के निर्देशन में उत्तराखण्ड का पारम्परिक लोकगीत।
8. सामुहिक नृत्य- छम छमा छम हूडका बाजों डम डमा डमा डमरू बाजों
9. सामुहिक नृत्य की सुन्दर प्रस्तुति जिसके बोल है तिलगा तेरी लम्बी लटी।
10. थड़िया चौफूला- भाना ग्वीराला फूल फूलिगे म्यारा भिना।
11. पारम्परिक गढवाली लोक नृत्य गायन चंदन ंिसंह मेहरा – कन प्यारों चौमास।
12. वाद्य कलाकार-  अमित बुधोडी-हारमोनियम पर, कीर्ति गयाल- कीबोर्ड, महेन्द्र -बासुरी, हुडके पर भूवन जोशी सौरभ जोशी ढोलक पर।
13. गायन कलाकार- हेमा बिष्ट, चंदन सिंह मेहरा, कैलाश सिंह, कीर्ति गयाल, अमित बुधोडी, ज्योति रावत, ममता आदि।

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14. नृत्य कलाकार- कामना बिष्ट, लवली बिष्ट, हेमा, किशोर, शौरभ जोशी, मनोज जोशी, प्रकाश थापा, संतोश कुमार, कमला राणा, भावना भटट, निशा, मनीशा बिष्ट, पूजा रावत, रश्मि रावत, दीप्ति डौवरियाल,
कार्यक्रम में भरत सिह बिष्ट, तरूण पाण्डेय, मनोहर सिंह, कामना बिष्ट, लवी बिष्ट, किरन बिष्ट, पुष्पा बिष्ट, उमा मनराल, चंदन सिंह बिष्ट, सरोज हर्ष, लाल सिंह बिष्ट, अभिषेक त्रिपाठी, जॉनकी जोशी, लता मिश्रा, राजकीय इण्टर कालेज ढिकुली के अध्यापकगण एवं अध्यापिकाएं तथा छात्र छात्रांए मौजूद सम्मानित दर्शकगण मौजूद रहे। अतं में संस्था की सचिव श्रीमती हेमा बिष्ट ने मुख्य अतिथि एवं सम्मानित दर्शकों एवं संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार, प्रिंट मीडिया का आभार प्रकट करते हुए कार्यक्रम का समापन किया गया। सादर।