उत्तराखंड क्राइम रामनगर

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के जंगल में पर्यटन की आड़ में नियम ताक पर, जंगल में रात का शिकार खेल! कौन दे रहा है संरक्षण?

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कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के जंगल में पर्यटन की आड़ में नियम ताक पर, जंगल में रात का शिकार खेल! कौन दे रहा है संरक्षण?

रोशनी पांडेप्रधान संपादक

 

 

रामनगर, नैनीताल।
उत्तराखंड के रामनगर क्षेत्र से एक सनसनीखेज और चिंताजनक मामला सामने आया है। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के अंतर्गत मोहान पर्यटन जोन में रात के अंधेरे में अवैध नाइट सफारी कराई जा रही है। यह गतिविधि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 और उत्तराखंड वन विभाग की निर्धारित गाइडलाइनों का खुला उल्लंघन है।

📹 वायरल वीडियो ने खोली पोल

एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें देखा जा सकता है कि रात करीब 7:30 बजे एक तेंदुआ अपने शिकार पर झुका हुआ है। तभी वहां पर्यटकों की गाड़ियां पहुंचती हैं और तेज़ सर्चलाइटों से उसे परेशान किया जाता है। वीडियो में तेंदुए का विचलित व्यवहार स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, जो इस बात का संकेत है कि पर्यटक गतिविधियों से उसका प्राकृतिक आचरण प्रभावित हो रहा है।

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❌ नियमों की धज्जियाँ

उत्तराखंड वन विभाग की गाइडलाइन के अनुसार शाम 5:30 बजे के बाद किसी भी प्रकार की पर्यटक गतिविधि पूर्णतः प्रतिबंधित है। इसके बावजूद मोहान रेंज में रोज़ाना सूरज ढलते ही जंगल में सफेद नंबर प्लेट की निजी गाड़ियां प्रवेश कर रही हैं। इससे वन्यजीवों की सुरक्षा, जैवविविधता और पर्यावरणीय संतुलन खतरे में पड़ रहा है।

❓ क्या रेंज अधिकारी की मिलीभगत?

अब बड़ा सवाल ये उठता है कि जब यह सब खुलेआम हो रहा है, तो क्या संबंधित रेंज अधिकारी, वन दरोगा या पर्यटन विभाग की मिलीभगत इसमें शामिल है? क्या यह अवैध गतिविधि वन विभाग की ‘अनदेखी’ के कारण चल रही है? इन सवालों का जवाब प्रशासन को देना होगा। यदि जांच ईमानदारी से हो तो वन माफियाओं और कथित ‘पर्यटन माफिया’ का गठजोड़ सामने आ सकता है।

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🌿 प्रकृति और वन्यजीवों के साथ विश्वासघात

वन्यजीवों को अंधेरे और शांति की आवश्यकता होती है। लेकिन रात के समय गाड़ियों की आवाज़, सर्चलाइट और मानवीय हस्तक्षेप से वन्यजीवों की स्वाभाविक जीवनशैली बाधित हो रही है। इससे न केवल उनके स्वास्थ्य और व्यवहार पर असर पड़ता है, बल्कि पूरी पारिस्थितिकी प्रणाली के लिए यह गंभीर खतरा बन सकता है।

📢 जनहित में अपील

इस खबर के माध्यम से जनहित में हम वन विभाग, शासन प्रशासन और संबंधित अधिकारियों से मांग करते हैं कि:

  • इस मामले की जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए

  • नाइट सफारी जैसे अवैध कारोबार में शामिल लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए

  • यदि रेंज स्टाफ की संलिप्तता पाई जाए, तो उनके निलंबन व सेवा समाप्ति की कार्रवाई हो।

  • भविष्य में ऐसी घटनाओं की रोकथाम के लिए सीसीटीवी और नाइट पेट्रोलिंग को अनिवार्य किया जाए

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📍 क्या कहता है कानून?

वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 9 के तहत किसी भी संरक्षित वन्यजीव को परेशान करना, उसका पीछा करना, या उसकी गतिविधियों में हस्तक्षेप करना दंडनीय अपराध है, जिसकी सजा जेल और जुर्माना दोनों हो सकते हैं।