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घर की जगह मिला धोखा: पीएम योजना के लाभार्थी परेशान, निर्माण कंपनी पर आरोप।

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घर की जगह मिला धोखा: पीएम योजना के लाभार्थी परेशान, निर्माण कंपनी पर आरोप।

 

उधम सिंह राठौर – प्रधान सम्पादक

 

काशीपुर, 4 अगस्त।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्त्वाकांक्षी योजना – प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) का उद्देश्य आवासहीन परिवारों को छत मुहैया कराना था, लेकिन काशीपुर के गंगापुर गोसाईं क्षेत्र में यह योजना निर्माण कंपनी और संबंधित विभागों की लापरवाही की भेंट चढ़ती नजर आ रही है।

 

 

 

 

काशीपुर में उत्तराखंड आवास एवं विकास परिषद के अंतर्गत गंगापुर गोसाईं में बनाए गए 584 आवासों को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। मार्च 2025 में लाभार्थियों को कब्जा पत्र सौंपे जा चुके हैं, लेकिन चार महीने बीतने के बाद भी लाभार्थियों को न तो मकान का पूर्ण अधिकार मिला है, न ही बुनियादी सुविधाएं।

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अधिकारियों ने बांटे कब्जा पत्र, हकीकत में अधूरे मकान

बड़े-बड़े मंचों और प्रचार पोस्टरों में कब्जा हस्तांतरण दिखाया गया, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है। निर्माण कंपनी की लापरवाही और अधिकारियों की मिलीभगत से न तो सीवर लाइन पूरी हुई, न ही मकानों में पानी की सप्लाई चालू की गई। रसोई, शौचालय और बाथरूम में न तो टोटियां लगी हैं, न ही जल कनेक्शन उपलब्ध है। परिसर की सड़कें भी अधूरी हैं।

 

 

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बैंक की लापरवाही, बढ़ा लाभार्थियों पर आर्थिक बोझ

उधर, बैंकों की लापरवाही ने लाभार्थियों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। आवास ऋण मिलने के बाद बैंक की ओर से न तो ब्याज की नियमित जानकारी दी गई, न ही किस्त शुरू होने की सूचना। नतीजतन, अधिकांश लाभार्थियों पर अब तक 30 से 35 हजार रुपये तक ब्याज और 60 से 65 हजार रुपये तक की कुल देनदारी बन चुकी है।

कई लाभार्थी आज भी किराए के घरों में रहने को मजबूर हैं और अब कर्ज चुकाना उनके लिए एक बड़ा संकट बन गया है।

 

 

 

लाभार्थियों ने उठाई आवाज, मांगी जांच

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इस गंभीर लापरवाही के खिलाफ लाभार्थी हरदीप शर्मा, रवि कुमार, राहुल कुमार आदि ने प्रधानमंत्री कार्यालय, मुख्यमंत्री उत्तराखंड, मुख्य सचिव उत्तराखंड और उत्तराखंड आवास एवं विकास परिषद को पत्र भेजकर मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।

 

 

 

बड़ा सवाल: कौन लेगा जिम्मेदारी?

यह मामला न केवल सरकारी योजनाओं की जमीनी सच्चाई को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि गरीबों के लिए बनी योजनाएं किस तरह भ्रष्टाचार और लापरवाही की भेंट चढ़ रही हैं। अब देखना होगा कि सरकार इस मामले में क्या कार्रवाई करती है और कब तक लाभार्थियों को उनका वास्तविक घर मिल पाता है।