उत्तराखंड जरा हटके रामनगर

शहीद भगत सिंह की जयंती पर आइसा रामनगर द्वारा एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।

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शहीद भगत सिंह की जयंती पर आइसा रामनगर द्वारा एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।

रोशनी पांडेय – प्रधान संपादक

• शहीद भगतसिंह की क्रांतिकारी विचार धारा आज भी युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है : सुमित कुमार।

शहीद ए आजम भगतसिंह को उनके जन्मदिन पर “ऑल इंडिया स्टूडेेंट्स एसोशिएसन” ( आइसा) द्वारा छात्रों के बीच एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के अज़ीमुल्ला खां द्वारा लिखे प्रयाण गीत हम हैं इसके मालिक हिंदोस्तान हमारा से हुई।फिर भगत सिंह के लेख “विद्यार्थी और राजनीति” तथा “सांप्रदायिक दंगे और उनका इलाज” को सामूहिक रूप से पढ़ा गया।

 

गोष्ठी में अपनी बातचीत रखते हुए आइसा के अध्यक्ष सुमित कुमार ने कहा, भगतसिंह की क्रांतिकारी विचारधारा आज भी युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है। भगतसिंह ब्रिटिश साम्राज्यवाद विरोधी मुक्ति संघर्ष के उन समस्त वीर नायकों में से अग्रणीय रहे जिन्होंने आजादी की बालिवेदी पर अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया जिनकी याद भारतीय जनमानस के दिलों में हमेशा जिंदा रहेगी।एक जज्बाती इंकलाबी के रूप में अपनी राजनीतिक जिंदगी शुरू करने वाले भगतसिंह अपने शुरुआती अस्पष्ट विचारों को को चंद वर्षों में ही क्रमश गहन वैज्ञानिक और प्रखर विचारधारा में ढालते चले गए।

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उन्होंने कहा, आज के समय में भी समाज में हो रहे सामाजिक, आर्थिक, राजनितिक शोषण और साम्प्रदायिक उन्माद के खिलाफ हर छात्र युवा को भगत सिंह के विचारों पर चलते हुए उनका सामना और विरोध करना होगा।

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नगर सचिव हेमा जोशी ने कहा कि आज के समय में छात्रों, युवाओं और हर भारतीय को भगत सिंह के विचारों पर चलने की जरूरत है। भगत सिंह और उनके क्रांतिकारी साथियों द्वारा देखे गए सपनो के भारत के निर्माण के लिए अनवरत संघर्षरत् रहने की जरूरत है।
उन्होंने कहा ,भगत सिंह ने एक ओर अपनी देश भक्ति से विदेशी हुकूमत को घुटने पर लाने का कम किया वहीं दुसरी ओर उन्होंने अपने विचारों से सवतंत्रता के संघर्ष में बंटे भारत को एक करने का काम किया।

 

गोष्ठी में नीरज फर्त्याल ने कहा,महज 23 साल की उम्र में उन्होंने अपने देश को स्वत्रंता दिलाने के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे. भगत सिंह का ये जुनून देख कर ब्रिटिश साम्रराज्य हिल गया था. इसीलिए भगत सिंह के इस योगदान को आज हम उनकी जयंती पर याद कर रहे हैं. भगत सिंह को लिखने का बहुत शौक था, जेल में भी भगत सिंह लिखते थे। उन्होंने “विद्यार्थी और राजनीति”, “अछूत समस्या”, “सांप्रदायिक दंगे और उनका इलाज”, “मै नास्तिक क्यों हूँ ” जैसे कई लेख लिखे।

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कार्यक्रम में, आइसा अध्यक्ष सुमित कुमार, हेमा जोशी, नीरज फर्त्याल, सुजल, अमन कुमार, पलक ठाकुर, गोविंद कुमार, सबनम, विकास कुमार, कविता, फईम अंसारी, पुष्पा, आदि मौजूद रहे।