लेखपालों ने दी सरकार को चेतावनी, 27 से प्रदेशव्यापी धरना।
उधम सिंह राठौर – प्रधान संपादक
देहरादून, 22 मई।
मैदानी जनपदों में लगातार बढ़ते कार्यभार और संसाधनों के अभाव से त्रस्त राजस्व उपनिरीक्षकों (लेखपालों) का आक्रोश अब खुलकर सामने आ गया है। उत्तराखंड लेखपाल संघ ने चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि शीघ्र ही पर्याप्त मानव संसाधन और तकनीकी सुविधाएं मुहैया नहीं कराई गईं, तो प्रदेशभर में 27 मई से तीन दिवसीय कार्य बहिष्कार और धरना शुरू किया जाएगा।
संघ के प्रदेश महामंत्री तारा चंद्र घिल्डियाल ने प्रेस को जारी बयान में स्पष्ट किया कि “संसाधन नहीं, तो अंश निर्धारण नहीं” की नीति के तहत लेखपाल अब प्रशासनिक दबाव को स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि मैदानी जनपदों में भूमि की खरीद-फरोख्त अधिक होती है, जिससे खतौनियों की स्थिति अत्यंत जटिल और संयुक्त हो जाती है। कई बार इनकी जांच के लिए दशकों पुराने रिकॉर्ड तक खंगालने पड़ते हैं, जो जीर्ण-शीर्ण, अपठनीय व नष्ट होने की स्थिति में हैं।
घिल्डियाल ने आरोप लगाया कि उपजिलाधिकारी, तहसीलदार और नायब तहसीलदार अंश निर्धारण के लिए लेखपालों पर अनावश्यक दबाव बना रहे हैं, जबकि उनके पास न तो डाटा एंट्री ऑपरेटर हैं और न ही तकनीकी संसाधन जैसे लैपटॉप, प्रिंटर या इंटरनेट की सुविधा।
उन्होंने बताया कि राजस्व परिषद द्वारा 1 मई 2025 को एक आदेश जारी कर प्रत्येक लेखपाल क्षेत्र में न्यूनतम पांच गांवों में अंश निर्धारण का प्रमाणपत्र अनिवार्य कर दिया गया है, जो कि मौजूदा संसाधनों में संभव नहीं है।
संघ की मांग है कि हर राजस्व उपनिरीक्षक को एक तकनीकी सहायक, एक डाटा एंट्री ऑपरेटर और तकनीकी उपकरण (लैपटॉप, प्रिंटर, इंटरनेट आदि) अविलंब उपलब्ध कराए जाएं।
लेखपाल संघ ने स्पष्ट किया है कि यदि 27 मई से पूर्व मांगें नहीं मानी जातीं, तो 27 से 29 मई तक सम्पूर्ण कार्य बहिष्कार और धरना आंदोलन शुरू किया जाएगा और 29 मई को भविष्य की रणनीति तय की जाएगी। संघ ने यह भी कहा कि इस आंदोलन की समस्त जिम्मेदारी राज्य सरकार और राजस्व परिषद की होगी।