उत्तराखंड क्राइम रामनगर

दिल्ली में नो एंट्री: उत्तराखंड की बसें थमीं, मुसाफिर परेशान, सरकार पर बढ़ा दबाव।

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दिल्ली में नो एंट्री: उत्तराखंड की बसें थमीं, मुसाफिर परेशान, सरकार पर बढ़ा दबाव।

 

 उधम सिंह राठौर – प्रधान संपादक

 

दिल्ली सरकार के वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए लागू किए गए सख्त नियमों का बड़ा असर उत्तराखंड परिवहन निगम पर पड़ा है। बीएस-3 और बीएस-4 डीजल बसों के दिल्ली में प्रवेश पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है। इससे उत्तराखंड से दिल्ली जाने वाली लगभग 194 बसों का संचालन ठप हो गया है। इसका नतीजा यह हुआ कि एक ओर हजारों यात्रियों को भारी असुविधा झेलनी पड़ रही है, तो दूसरी ओर उत्तराखंड सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है।

 

 


नो एंट्री से मुसाफिरों की मुश्किलें बढ़ीं

उत्तराखंड परिवहन निगम की बसें दिल्ली जाने वाले हजारों यात्रियों के लिए मुख्य परिवहन साधन थीं। लेकिन दिल्ली सरकार के इस फैसले के बाद इन बसों का संचालन लगभग रुक गया है। रामनगर, नैनीताल, हल्द्वानी, देहरादून और अन्य शहरों से दिल्ली जाने वाली लगभग 194 बसों में से अब केवल 10 बसें ही संचालित हो रही हैं।

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यात्रा करने वाले यात्रियों की परेशानियां तेजी से बढ़ रही हैं:

  • सीटों की किल्लत: बसों की संख्या कम हो जाने से यात्रियों को सीटें नहीं मिल पा रही हैं।
  • लंबा इंतजार: लोगों को बसों के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है।
  • महंगे विकल्प: मजबूरी में यात्री निजी टैक्सी और अन्य महंगे साधनों का सहारा ले रहे हैं।

 

रामनगर निवासी यात्री योगेश ने बताया:

“पहले हमें समय पर बसें मिल जाती थीं, लेकिन अब हमें घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। निजी वाहन महंगे हैं और हर किसी के लिए वह विकल्प संभव नहीं है।”

 


सरकार के सामने चुनौती, बढ़ी बेचैनी

उत्तराखंड में अधिकतर डीजल वाहन बीएस-3 और बीएस-4 मानकों के हैं। ऐसे में दिल्ली सरकार के नए आदेश के कारण उत्तराखंड परिवहन विभाग के पास सीमित विकल्प रह गए हैं। उत्तराखंड परिवहन निगम के अधिकारी आनंद प्रकाश का कहना है:

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“हम दिल्ली सरकार के इस फैसले से चिंतित हैं। अब नई बसों की खरीद और वैकल्पिक साधनों पर विचार किया जा रहा है। फिलहाल हम दिल्ली सरकार से बातचीत कर रहे हैं।”

 

 


दिल्ली सरकार के फैसले की वजह क्या है?

दिल्ली में वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है। इसे नियंत्रित करने के लिए दिल्ली सरकार ने बीएस-3 और बीएस-4 डीजल वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया है। यह फैसला पर्यावरण के हित में है, लेकिन उत्तराखंड जैसे राज्यों के लिए यह बड़ी चुनौती बन गया है, जहां बीएस-6 मानक की बसों की संख्या बेहद कम है।


उत्तराखंड सरकार के पास क्या हैं विकल्प?

उत्तराखंड परिवहन विभाग और सरकार इस स्थिति को हल करने के लिए कुछ संभावित विकल्पों पर विचार कर रही है:

  1. नई बसों की खरीद: बीएस-6 मानक की नई बसों को तेजी से खरीदा जा सकता है।
  2. सीएनजी और इलेक्ट्रिक बसों का संचालन: वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों से चलने वाली बसों का उपयोग बढ़ाने पर विचार किया जा सकता है।
  3. दिल्ली सरकार से छूट की मांग: अस्थायी राहत के लिए दिल्ली सरकार से बातचीत की जा रही है ताकि कुछ बसों को छूट मिल सके।
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यात्रियों के लिए क्या विकल्प?

जब तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकलता, तब तक यात्रियों को वैकल्पिक साधनों जैसे निजी टैक्सी, ट्रेन या अन्य सार्वजनिक वाहनों का उपयोग करना पड़ेगा। हालांकि, यह विकल्प हर किसी के लिए सुलभ नहीं है।


समस्या का समाधान कब?

उत्तराखंड परिवहन विभाग और सरकार इस समस्या को हल करने के लिए लगातार बैठकें कर रही हैं। इस मामले पर सरकार की ओर से जल्द ठोस निर्णय लिए जाने की उम्मीद है।

 

 

उत्तराखंड से दिल्ली जाने वाले यात्रियों और सरकार के लिए यह समय किसी चुनौती से कम नहीं है। अब यह देखना होगा कि सरकार इस समस्या को कितनी जल्दी और कितनी प्रभावी तरीके से सुलझा पाती है।