उत्तराखंड

उत्तराखण्ड में भ्रष्टाचार की गंगा में सभी डुबकी लगा रहे हैं। यशपाल आर्य ।

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उत्तराखण्ड में भ्रष्टाचार की गंगा में सभी डुबकी लगा रहे हैं। यशपाल आर्य ।

रोशनी पांडे प्रधान संपादक

 

उत्तराखंड : उत्तराखण्ड में चल रहे उद्यान घोटालों की सी0बी0आई0 जांच करने के बाद सिद्ध हो गया है कि, उत्तराखण्ड में भ्रष्टाचार की गंगा में सभी डुबकी लगा रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष ने बताया कि, इस मामले में उच्च न्यायालय के आदेश अनुसार सरकार और शासन के सभी स्तरों की संदिग्ध भूमिका का उल्लेख किया गया है। उच्च न्यायालय के आदेश में सत्ता दल के द्वारा रानीखेत के विधायक ने अपने बगीचे में फर्जी पेड़ लगाने का प्रमाण पत्र निर्गत करने के बाद से सिद्ध होता है कि, राज्य के उद्यान घोटालों में केवल निदेशक बबेजा ही शमिल नहीं हैं बल्कि प्रदेश सरकार और भाजपा के विधायक व नेता भी इस मैं शमिल हैं।इस आदेश में दलनाम आने के बाद राज्य के उद्यान मंत्री और साथ ही रानीखेत के विधायक से नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देना चाहिये ।

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यशपाल आर्य ने आरोप लगाया कि, राज्य में हो रहे हर भ्रष्टाचार में राज्य सरकार भी हिस्सेदार है उन्होंने साफ किया कि , राज्य के आला अधिकारी और एस0आई0टी0 जांच में विफल सिद्ध हुए हैं इसलिए इस साल उच्च न्यायालय ने उद्यान घोटाले की जांच समेत उत्तराखण्ड से संबधित तीन घोटालों की जांच सी0बी0आई0 को सौंपी दी हैं।

 

नेता प्रतिपक्ष ने ये भी कहा कि, हिमाचल मैं विजीलैंस टीम की जांच में दोषी शमिल अधिकारी बबेजा को उत्तराखण्ड में उद्यान जैसे महत्वपूर्ण विभाग का निदेशक बना कर केवल इसलिए लाया गया क्यूं की घोटालों को करने में उन्हें हर तरह की महारत हासिल है। उत्तराखंड उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग में निदेशक डॉ हरमिंदर सिंह बवेजा ने उत्तराखण्ड फल पौधशाला (विनिमय) कानून – 2019 का उल्लंघन करते हुए पूरे प्रदेश के लिए शीतकालीन पौधों के आपूर्ति हेतु उत्तरकाशी की एक ऐसी फर्जी नर्सरी – ‘‘ अनिका ट्रेडर्स एवं पौधशाला’’ के नाम कर दिया जिसके पास राज्य में कंही जमीन ही नहीं थी। शिकायत मिलने के बाद से उत्तरकाशी के जिला अधिकारी ने मामले की पुरी तरह से जांच कराई तो सभी शिकायतें सही पायी गयीं और जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी । क्योंकि पौध आपूर्ति का कार्य पूरे राज्य के लिए दिया जा गया है। तो भ्रष्टाचार सिर्फ जिला उद्यान अधिकारी , या उत्तरकाशी के हाथों से नहीं हो रहा था। भ्रष्टाचार की इस पटकथा के लेखक उद्यान विभाग के निदेशक और उससे भी ऊपर का कोई आधिकारी था जो बेखौफ होकर करोड़ों रुपए का गबन किया जा रहा था।

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यशपाल आर्य ने आरोप लगाया कि, उच्च न्यायालय ने मामले की गंभीरता से लेते हुए पहले ही उद्यान से जुड़े हर सभी तरह के घपलों की जांच सी0बी0आई0 को देने का प्रस्ताव रखा था। मगर राज्य सरकार उससे पहले ही राज्य पुलिस की एस0आई0टी0 की जांच का नोटिफिकेशन जारी कर दिया। राज्य सरकार ने यह कदम भी भ्रष्टाचारी नेताओं और अधिकारियों को बचाने के लिए क्या।

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नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि, उच्च न्यायालय के सी0बी0आई0 जांच के आदेश ने राज्य सरकार के ‘‘जीरो करप्शन माडल’’ की सही हकीकत सामने ला दी है।प्रदेश की भाजपा सरकार और साथ ही अधिकारी भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं।