अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 के तहत ग्रामीणों को किया गया जागरूक।
उधम सिंह राठौर – प्रधान संपादक
नैनीताल, 17 जून 2025 संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 2025 को ‘अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष’ घोषित किए जाने के तहत, देशभर में सहकारी समितियों की भूमिका को उजागर करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में, नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक) के तत्वावधान में एक दिवसीय जन-जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन मंगलवार को दोपहर 12 बजे चोपड़ा गांव में किया गया।
कार्यक्रम में नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधक मुकेश बेलवाल और एलडीएम अजय वाजपेयी द्वारा सहकारिता के महत्व, सहकारी समितियों की भूमिका और सतत विकास लक्ष्यों (SDG) की प्राप्ति में इनके योगदान के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।
🔹 सहकारिता की ताकत पर जोर
अधिकारियों ने कहा कि सहकारी समितियां न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, बल्कि किसानों, महिलाओं और ग्रामीण समुदायों के आर्थिक सशक्तिकरण में भी उनकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। सहकारी संस्थाएं आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में भी अहम योगदान दे रही हैं।
👥 किसान, महिलाएं और समितियों के सदस्य रहे शामिल
इस कार्यक्रम में बहुउद्देशीय साधन सहकारी समिति ज्योलिकोट के सदस्यों हयात मेहता, संगीता आर्य, हरगोविंद रावत, शेखर भट्ट और पवन कुमार सहित चोपड़ा गांव के लगभग 50 किसान और महिला स्वयं सहायता समूह की सदस्याएं मौजूद रहीं। कार्यक्रम के दौरान सहकारिता से जुड़ी योजनाओं, ऋण सुविधाओं और प्रशिक्षण कार्यक्रमों की जानकारी भी दी गई।
🎯 कार्यक्रम का उद्देश्य
इस जागरूकता कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सहकारी समितियों को अधिक संगठित और जागरूक बनाना, उनकी भागीदारी को बढ़ाना, तथा सहकारिता आंदोलन को जन-जन तक पहुँचाना रहा।