ग्रामीणों ने कॉर्बेट और वन प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर धरना प्रदर्शन करते हुए झिरना और ढेला पर्यटन जोन को किया बंद।
रोशनी पांडेय – प्रधान सम्पादक
रामनगर क्षेत्र के आसपास स्थित विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार बाघ और गुलदार के आतंक को लेकर ग्रामीण काफी परेशान है जंगली जानवरों के आतंक के बाद जहां एक और ग्रामीण घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं तो वही स्कूल जाने वाले बच्चे स्कूल तक नहीं जा पा रहे हैं।
जंगली जानवरों से इंसानों, फसलों,मवेशियों की सुरक्षा तथा जंगली जानवरों के हमले में मृतक के परिजनों को 25 लाख रुपए का मुआवजा व घायलों को 10 लाख रुपए का मुआवजा व संपूर्ण इलाज की गारंटी आदि मांगों को लेकर ग्रामीणों एवं विभिन्न संगठनों द्वारा ढेला रेंज कार्यालय के समक्ष धरना देकरर कार्बेट नेशनल पार्क के ढेला झिरना जोन में पर्यटकों की आवाजाही ठप कर दी गई तथा इस दौरान समस्याओं का समाधान न किए जाने पर आगामी 21 दिसंबर को वन परिसर रामनगर में धरने की घोषणा की।
इस दौरान जनता की समस्या सुनने मौके पर पहुंचे तहसीलदार, कोतवाल व उपनिदेशक कॉर्बेट रिजर्व ने जनता को उनकी समस्याओं के समाधान का भरोसा दिलाया तथा पीसीसीएफ उत्तराखंड से वार्ता कराने का आश्वासन भी दिया।
धरने को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि हम पर्यावरण व टाइगर संरक्षण के खिलाफ नहीं है परंतु इंसानों को मार कर टाइगर व जंगली जानवरों को बचाने की नीति को किसी भी शर्त पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। वक्ताओं ने कहा कि टाइगर और तेंदुए अब विलुप्त प्रजाति नहीं रह गई है। वे जंगलों में ही नहीं बल्कि गांव और शहरों में भी घुसकर लोगों को पर हमले कर रहे हैं। पिछले 20 वर्षों में 6 हजार से भी अधिक लोग जंगली जानवरों के हमले का शिकार हो चुके हैं। अतः इनको वन्य जीव संरक्षण अधिनियम में संरक्षित अनुसूची से बाहर किया जाना चाहिए।
वक्ताओं ने कहा कि वन प्रशासन पटरानी के बच्चों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहा है। गांव से स्कूल आते-जाते वक्त यदि जंगली जानवर बच्चों पर हमला कर देगा तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा. अतः सरकार को बच्चों को स्कूल आने जाने हेतु निशुल्क बस की व्यवस्था करनी चाहिए।
वक्ताओं ने कहा कि 9 दिसंबर को ग्रामीणों ने सरकार को समस्याओं के समाधान हेतु 4 दिन का वक्त दिया था परंतु वन प्रशासन एवं सरकार ने जनता की समस्याओं को हल करने की जगह धमकाने का काम किया जिस कारण मजबूर होकर कार्बेट पार्क बंद करने का कार्यक्रम लेना पड़ा। कार्यक्रम संयोजक ललित उप्रेती ने बताया कि 21 दिसंबर को बड़ी संख्या में लोग वन परिसर रामनगर पहुंचेंगे और वहीं पर आगामी कार्यक्रम की घोषणा की जाएगी।