बरेली उत्तर प्रदेश क्राइम

एक झोपड़ी में आग लगने से चार मासूम बच्चियों जिंदा जली।

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एक झोपड़ी में आग लगने से चार मासूम बच्चियों जिंदा जली।

 

उधम सिंह राठौर –  प्रधान संपादक

बरेली के फरीदपुर में घर में आग लगी तो छत पर खेल रहीं मासूम बच्चियां नीचे उतरने की बजाय उस झोपड़ी में घुस गईं जिसमें भूसा भरा था। आग फैली तो आसपास रखा पुआल भी झोपड़ी की ओर गिर गया। लपटों के बीच घिरने के बाद उनको बचाव का कोई रास्ता नहीं सूझा। आखिरकार, चारों मासूमों की जान चली गई।

रामदास का पूरा परिवार मजदूरी करता है। 70 वर्गगज के मकान में रामदास व उनके चार बेटे अपने परिवार सहित गुजारा कर रहे थे। छत के ऊपर मिट्टी की दीवार खड़ी कर उसके ऊपर झोपड़ी डाली और उसमें भूसा भर दिया था। पास में ही पुआल की गैरिया लगा दी थी।

वहीं, पास में अमिताभ ने मिट्टी की छोटी दीवार बनाकर एक झोपड़ी डाल दी। इसमें वह परिवार सहित रहता था। उसी में उसकी पत्नी खाना भी बनाती थी। शुक्रवार को घर के सभी पुरुष मजदूरी करने चले गए थे। दोपहर में अमिताभ की पत्नी उपले पाथने चली गईं। परिवार के कुछ लोग गांव में चल रहे भंडारे में चले गए थे। छत पर चारों बच्चियां खेल रही थीं। तभी यह हादसा हो गया।

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बच्चियों की चीखें सुनकर पड़ोसी रामदास के घर की ओर दौड़े। बच्चों की मांओं ने चीखें सुनीं तो वे भी दौड़कर घर पर पहुंचीं। बच्चियों को लपटों से घिरा देख उनका कलेजा धक से रह गया। वे जलती झोपड़ी की ओर जाने लगीं तो पड़ोस की महिलाओं ने उन्हें पकड़ लिया।

पड़ोसियों के अथक प्रयास से जब तक आग बुझी, तब तक सब कुछ राख हो चुका था। इसी दौरान दमकल व पुलिस टीम भी आ गई। टीम ने देखा कि तीन बेटियों के शव कोयले जैसे हो चुके थे, जबकि नीतू की सांसें चल रही थीं। जिला अस्पताल में कुछ घंटे इलाज के बाद नीतू की भी मौत हो गई।

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घटना की सूचना मिलते ही डीएम रविंद्र कुमार, एसएसपी घुले सुशील चंद्रभान सहित अन्य अफसर भी मौके पर पहुंच गए। डीएम ने कहा कि प्रति मृतक चार लाख रुपये की दर से परिवार को कुल 16 लाख रुपये का मुआवजा शासन की ओर से जल्दी प्रदान किया जाएगा।